डूबने की कगार पर खाताधारकों के 1.9 करोड़ रुपये

सहकारी बैंक की साधन सहकारी समिति में खाताधारकों के एक करोड़ नौ लाख रुपये डूबने की कगार पर हैं। दो हजार से अधिक खाताधारकों ने समिति के माध्यम से सहकारी बैंक में पैसा जमा किया लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिल पा रहा है।


 

खाताधारक जमा धन निकासी के लिए भटकने को विवश हैं। शासन स्तर से भी इन खाताधारकों की समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। मामला सहकारी बैंक की साधन सहकारी समिति दूबेपुर से जुड़ा है।
मामला सहकारी बैंक से जुड़ी साधन सहकारी समिति दूबेपुर का है। समिति के खाताधारकों ने सहकारिता मंत्री से जमा की गई पूंजी का भुगतान कराने की मांग की है।
बताया है कि सहकारी बैंक से जुड़ी साधन सहकारी समिति लिमिटेड दूबेपुर में करीब 2088 लोगों का बचत खाता व 15 लोगों का सावधि जमा खाता था। साधन सहकारी समिति के खाता संख्या 10440 में 31 मार्च 2019 तक 70.50 लाख रुपये जमा किया गया है।
इसके अलावा सावधि जमा खाताधारकों का एक लाख 64 हजार 300 रुपये का मूलधन फिक्सड डिपॉजिट किया गया है। इसी तरह से अलग-अलग खातों में करीब 30 लाख रुपये समिति के माध्यम से खाताधारकों ने सहकारी बैंक में जमा किया है।
इन सभी धनराशियों को मिलाकर साधन सहकारी समिति में जमा हुए करीब 1.9 करोड़ रुपये के मूलधन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। खाताधारकों के समक्ष भुगतान का संकट खड़ा हो गया है।
समितियों के माध्यम से जुड़े खाताधारकों का आरोप है कि 27 मार्च 2012 के बाद कोई भी भुगतान सहकारी बैंक की ओर से नहीं किया गया है। खाताधारकों की पूंजी पूरी तरह से डूबने की कगार पर पहुंच चुकी है।
सपा के शासन काल में सहकारी बैंक को घाटे से उबारने के लिए 116 करोड़ रुपये खाताधारकों व कर्मचारियों के वेतन देने के लिए दिया गया था। जो उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक लखनऊ के सुल्तानपुर जिले के खाते में जमा है।
फिर भी जिले में कोऑपरेटिव बैंक के अंतर्गत संचालित समितियों से जुड़ी मिनी बैंक के खाताधारकों के पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। इस मामले की शिकायत प्रदेश के सहकारिता मंत्री से की गई है।
मौजूदा चेयरमैन को भी खाताधारकों की समस्या से अवगत कराया जा चुका है। यदि बैंक की ओर से मामले का निस्तारण नहीं किया गया तो खाताधारक न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होंगे।